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कल -कल वाली काम -मद मनवा पीवणहार

कल कल वाली काम मद ,मनवा पीवणहार।(गुरुनानक देव मर्दाने से मुखातिब )

पंकज फाँसे  पंक  -गुरु अरजन देव 

जन्म काम से है अगर यह काम जीवन बन जाए तो चिक्कड़ चिक्क्ड़ में ही फंस के रह गया। कमल नहीं हो सका। काम राम बन जाए तो चिक्कड़  कमल हो जाए। काम सिर्फ  काम ही रह जाए तो कमल चिक्क्ड़ विच फंस के रह गया.

काम से पैदा हुआ ये मनुष्य आज काम में ही फंस के रह गया है। ये युग कलाल है इसमें काम ही शराब है। काम की ही शराब बिक रही है। 

मनुष्य को किसी और नशे का पता ही नहीं है। दुनिया के सारे नशे भी काम के आले दुआले मंडरा रहे हैं पर काम प्रबल नशा है। आज का सारा सामाजिक राजनीतिक यहां तक के धार्मिक परिवेश भी काम ही प्रदर्शित कर रहा है।  रेडिओ अखबार टीवी सोशल मीडिया सब काममय हो गए हैं। लेकिन कामकी चर्चा यहां वर्जित है। 

जीवन तब सफल हो जाए कि जन्में भले काम से हैं लेकिन लीन  हो गए राम में। 

कल -कल वाली काम -मद मनवा पीवणहार 

16:50



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https://www.youtube.com/watch?v=h9YFsY3C620


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