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कोरोना के बाद कि दुनिया: शायर कि नज़र से

लेखक: ज़िया ज़मीर इक्कीसवीं सदी की तीसरी दहाई शुरू हुआ चाहती है। मौसमे-सर्द रवाना होते-होते वापसी कर रहा है और मौसमे-गर्म की आमद-आमद है। मगर दो मौसमों के मिलन की इस साअत में भी दिल बुझे हुए हैं। दो-चार लोगों के दिल नहीं, दो-चार शहरों या मुल्कों के दिल नहीं बल्कि सारी दुनिया के दिल बुझे हुए हैं। कैसी अजीब और डरावनी हक़ीक़त है कि इस ज़मीं की आधी से ज़ायद आबादी अपने-अपने घरों में कै़द हैं। यह सज़ा है या आज़माइश, अभी ज़ाहिर नहीं हुआ है। सज़ा है तो ना-कर्दा गुनाहों की है या कर्दा गुनाहों की, इस राज़ से भी पर्दा उठना अभी बाक़ी है। फ़िलहाल तो मुसलसल अंदेशा यह है कि कुछ दिन या कुछ महीनों के बाद भी क्या हम इस कै़द से आज़ाद हो पाएंगे? ऐसा क्या कर दिया हमने जो एक दूसरे के लिए मौत का सामान बन गये हैं। पीरज़ादा क़ासिम ने क्या इसी दिन के लिए कहा था अपने ख़िलाफ़ फैसला ख़ुद ही लिखा है आपने हाथ भी मल रहे हैं आप, आप बहुत अजीब हैं क्या हम ख़ुद ही अपनी तबाही का सबब बनेंगे या बन चुके हैं। क्या जॉन एलिया यह पहले से जानते थे अब नहीं बात कोई ख़तरे की अब सभी को सभी से ख़तरा है आदमी अपने लिए, अप
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कल -कल वाली काम -मद मनवा पीवणहार

कल कल वाली काम मद ,मनवा पीवणहार।(गुरुनानक देव मर्दाने से मुखातिब ) पंकज फाँसे  पंक  -गुरु अरजन देव  जन्म काम से है अगर यह काम जीवन बन जाए तो चिक्कड़ चिक्क्ड़ में ही फंस के रह गया। कमल नहीं हो सका। काम राम बन जाए तो चिक्कड़  कमल हो जाए। काम सिर्फ  काम ही रह जाए तो कमल चिक्क्ड़ विच फंस के रह गया. काम से पैदा हुआ ये मनुष्य आज काम में ही फंस के रह गया है। ये युग कलाल है इसमें काम ही शराब है। काम की ही शराब बिक रही है।  मनुष्य को किसी और नशे का पता ही नहीं है। दुनिया के सारे नशे भी काम के आले दुआले मंडरा रहे हैं पर काम प्रबल नशा है। आज का सारा सामाजिक राजनीतिक यहां तक के धार्मिक परिवेश भी काम ही प्रदर्शित कर रहा है।  रेडिओ अखबार टीवी सोशल मीडिया सब काममय हो गए हैं। लेकिन कामकी चर्चा यहां वर्जित है।  जीवन तब सफल हो जाए कि जन्में भले काम से हैं लेकिन लीन  हो गए राम में।  कल -कल वाली काम -मद मनवा पीवणहार  16:50 Naganpuna | Sant Singh Ji Maskeen Jap Man Mere • 7.4K views 2 days ago New https://www.youtube.com/watch?v=h9YFsY3C620

Six new antibodies developed to combat Zika

The antibodies "may have the dual utility as diagnostics capable of recognising Zika virus subtypes and may be further developed to treat Zika virus infection," said Ravi Durvasula from Loyola University in the US. Antibodies could be key to diagnosing and treating Zika virus. (Representational image) Researchers, including one of Indian origin, have developed six  Zika  virus antibodies which may help diagnose as well as treat the mosquito-borne disease that has infected over 1.5 million people worldwide. The antibodies “may have the dual utility as diagnostics capable of recognising  Zika virus subtypes and may be further developed to treat Zika virus infection,” said Ravi Durvasula from Loyola University in the US. Zika is spread mainly by mosquitos. Most infected people experience no symptoms or mild symptoms such as a rash, mild fever and red eyes. However, infection during pregnancy can cause miscarriages, stillbirths and severe birth defects such as microc

India from Curzon to Nehru and After (HINDI )-Journalist Durga Das

माननीय दुर्गा दास उस दौर के मशहूर और पेशे को समर्पित साख वाले पत्रकार थे जो न सिर्फ पूरे पचास बरसों तक पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में लेते रहे १९२०, १९३० , १९४० आदिक दशकों के संघर्षों के एक सशक्त और निष्पक्ष पत्रकार के रूप में जाने गए हैं। आज़ादी के पूरे आंदोलन की आपने निष्पक्ष रिपोर्टिंग की है.बारीकबीनी की है हर घटना की। आपकी बेहद चर्चित किताब रही है :INDIA from CURZON to NEHRU and AFTER यह बहुचर्चित किताब आज भी ब्रिटिश सेंट्रल लाइब्रेरी ,नै दिल्ली ,में सम्भवतया उपलब्ध है। संदर्भ सामग्री के रूप में इस किताब को अनेक बार उद्धरित किया गया है आज़ादी के लम्बे आंदोलन से जुडी बारीकबीनी इस प्रामाणिक  किताब में हासिल है। इसी किताब से सिलसिलेवार जानकारी आपके लिए हम लाये हैं : १९४० :भारत को  पंद्रह अगस्त १९४७ को मिलने वाली  आज़ादी का निर्णय ब्रितानी हुक्मरानों ने ले लिया  था इस बरस. लार्ड माउंटबेटन को अंतिम वायसराय के रूप में भारत इसी निमित्त भेजा गया था ताकि  सत्तांतरण शांति पूर्वक हो सके। १९४६ :इस बरस भारत में एक अंतरिम सरकार बनाने का फैसला लिया गया।  माँउंटबेटन के मातहत कार्यरत डि

राफेल का पूरा सच खोल डाला मेजर जनरल एस पी सिन्हा ने

Major General Mrinal Suman, AVSM, VSM, PhD, commanded an Engineer Regiment on the Siachen Glacier, the most hostile battlefield in the world. A highly qualified officer (B Tech, MA (Public Administration), MSc (Defence Studies) and a Doctorate in Public Administration) he was also the Task Force Commander at Pokhran and was responsible for designing and sinking shafts for the nuclear tests of May 1998. बे -शक भारतीय प्रतिरक्षा सेवाओं के साथ -साथ भारतीय चुनाव आयोग और माननीय सुप्रीम कोर्ट का भारत को अन्य  राष्ट्रों के बीच एक अग्रणी राष्ट्र बनाये रखने उसकी सम्प्रभुता को अक्षुण रखने में अप्रतिम योगदान रहा आया है।  लेकिन जैसे -जैसे २०१९ नज़दीक आ रहा है उन लोगों की बे -चैनी बढ़ती जा रही है जो वर्तमान राजनीतिक प्रबंध में स्थान नहीं पा सके। इनमें चंद रक्तरँगी तो हैं ही, धंधेबाज़ राजनीतिक विपक्ष के संग -संग सुपर राजनीतिक की भूमिका में माननीय सुप्रीम कोर्ट भी आता दिखलाई दिया है। ऐसा हम नहीं कहते भारत -धर्मी समाज के लोग मुंह खोलकर कहने लगें हैं।  ऐसे ही चंद लोगों से हमने इस मुद्दे पे बात की है